Tuesday, August 9, 2011

अब सोने-चांदी का हिसाब देना होगा सरकार को

केंद्रीय सूचना आयोग ने अपनी सुनवाई में एक लैंडमार्क फैसला सुनाते हुए वित्त मंत्रालय को हलफनामा दायर करने को कहा है कि उसके पास देश में खपत और बिक्री होने वाले सोने - चांदी का कोई रिकॉर्ड या उसकी जानकारी है या नहीं। आयोग ने यह फैसला आरटीआई के उस अपील की सुनवाई में दिया है , जिसमें केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अलावा रिजर्व बैंक से यह जानकारी मांगी गई थी कि क्या उनके पास देश में मौजूद बेनामी सोने ( अनअकाउंटेड गोल्ड ) पर नकेल लगाने के लिए कोई प्लान है या नहीं , और अगर है तो अब तक इस संबंध में क्या कार्रवाई की गई है। और यह भी पूछा गया था कि हवाला के जरिए होने वाले सोने के काले कारोबार को रोकने के लिए सरकार ने क्या प्लान बनाया है ?
आयोग की आयुक्त दीपक संधू ने सुनवाई में कहा कि वित्त मंत्रालय ही इसकी जानकारी रखने की नोडल एजेंसी होगी और इसी मंत्रालय को हलफनामा दाखिल करना होगा। यह हलफनामा डेप्युटि सेक्रेटरी से ऊपर के रैंक के अधिकारी के जरिए दाखिल होगा। ऐसे समय में जब चारों तरफ घोटाले , भ्रष्टाचार की आग सुलग रही है , यह फैसला काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। 

http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/9531473.cms 
दिल्ली के आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल बताते हैं कि यह कितने दुर्भाग्य की बात है कि वित्त मंत्रालय के साथ - साथ आरबीआई , सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज , राजस्व विभाग , प्रवर्तन निदेशालय जानकारी देने लिए एक दूसरे का मुंह ताकते रहे। उनका कहना है कि पहले सोना ग्राम में बिकता था और आज किलो में मिलता है। पहले सोना आम आदमी के लिए इन्वेस्टमेंट का एक जरिया हुआ करता था , आज अरबपतियों के लिए पार्किंग प्लेस बन गया है ... विडंबना है कि सरकार मौन बैठी हुई है। अग्रवाल के मुताबिक जब से विदेशों में पड़े काले धन को वापस भारत में लाने की बात चली है , तबसे लोग अपना पैसा इस देश में मंगाकर उसे सोने में इन्वेस्ट करने लगे हैं , इसीलिए सोने की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। 

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